गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

कारण तुम ,निवारण तुम


होती एक टुकडा कागज़ का ,
तकिये के नीचे ठौर पाती ....
होती कोई ख़्वाब सलोना ,
तुम्हारे नयनों में बस जाती
होती प्यारा भाव तुम्हारा ,
दिल की धडकन में बस जाती
होती रंगीला रंग तुम्हारा ,
तुम्हारे अंगों में रच जाती
मैं तो हूँ बस साथ तुम्हारा ,
तुम में ही जी लेती हूँ
एक अटपटा सा सच तुम्हारा ,
साँसे तुमसे ही उधार लेती हूँ
किससे करें ये शिकवे ,
कैसी भूलभुलैय्या सी शिकायतें
इनका कारण ही नहीं
निवारण भी हो सिर्फ तुम !
                           -निवेदिता 

27 टिप्‍पणियां:

  1. कैसी भूलभुलैय्या सी शिकायतें
    इनका कारण ही नहीं
    निवारण भी हो सिर्फ तुम !very nice.

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  2. कैसी भूलभुलैय्या सी शिकायतें
    इनका कारण ही नहीं
    निवारण भी हो सिर्फ तुम !
    bahut sunder man ke bhaav ....

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  3. सारे गुस्से का कारण तुम
    रूठने का कारण तुम
    कुछ गिराने का कारण तुम ...
    सीधी सी बात है, हर वक़्त तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ , बातों में, ख्यालों में .....

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  4. करण और निवारण दोनों ही जब तुम तो छुटकारा कहाँ ? भावमयी प्रस्तुति

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  5. इनका कारण ही नहीं
    निवारण भी हो सिर्फ तुम !
    बहुत खूब ।

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  6. ये अटपटा सा सच बड़ा भाया .. सुन्दर रचना .

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  7. कारण में ही छिपे निवारण, कोई उन्हें बतलाये तो,
    भाव कहाँ आकार समाते, शब्दों से समझाये जो।

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  8. कारण तुम निवारण भी तुम...फिर कैसी शिकायत..सुन्दर भाव..

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  9. खुबसूरत शिकायत.....बेजोड़ भावाभियक्ति....

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  10. बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति| धन्यवाद|

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  11. साँसे तुमसे ही उधार लेती हूँ
    किससे करें ये शिकवे ,
    मन को छूती बातें, भाव को जगाती रचना।

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  12. सुंदर भाव ...बहुत खूब लिखा है आपने समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  13. निवेदिता जी,..
    बहुत सुंदर लिखा आपने भावपूर्ण सुंदर पोस्ट,मन को भाया...
    मेरे नये पोस्ट में आपका इंतजार है,."काव्यांजली"में

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  14. इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।

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  15. मेरे नए पोस्ट की चंद लाइने पेश है..........

    नेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
    देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
    इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
    इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,

    अगर आपको पसंद आए तो समर्थक बने....
    मुझे अपार खुशी होगी........धन्यबाद....

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  16. सुन्दर भाव।
    इस कविता की रचनाकार लखनऊ मे है यह जानकर सखाभाव पैदा हो गया। मैं भी जो यहाँ बस गया हूँ।

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